अमेरिका में रहस्यमय तरीकेसे बना श्री यंत्र | Mystery Of The Oregon Sri Yantra in Hindi

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The Mystery Of The Oregon Sri Yantra, रहस्यमय घटनाएँ: दोस्तों १० अगस्त १९९० में अमेरिका में एक आश्चर्य चकित और हैरान कर देने वाली एक घटना घटी, जब एक अमेरिकी पायलट ने ओरेगॉन की एक सुखी झील में हिन्दुओका "श्री यंत्र" रहस्यमय तरीके से बना हुवा देखा और उसका आकार बहुत ही बड़ा था।

इस बात पर पूरे UFO वैज्ञानिक और शोधकर्ता हैरान और परेशान हो गए, की ये हिन्दुओका श्री यंत्र यहाँ किसने बनाया और कैसे बनाया। तो दोस्तों आज हम इससे संबंधित घटना के बारे में विस्तारित रूप से जानेंगे।

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यह श्री यंत्र सबसे पहले "बिन मिलर" इस व्यक्ति ने देखा, बिन मिलर सेना में लेफ्टिनेंट पद पर कार्यरत थे और इहाडो एयर नेशनल गार्ड के पायलट भी थे, 

जब १० अगस्त १९९० में बिन मिलर अपनी नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर थे, तब उन्होंने अचानक ओरेगॉन प्रांत की एक सुखी झील की रेत पर एक विचित्र भव्य आकृति देखी तब इतनी बड़ी आकृति देख कर बिन मिलर आश्चर्य चकित और घबरा गए क्यूँ के लगभग २५ से ३० मिनट पहले उन्होंने इस मार्ग से उड़ान भरी थी तो तब ये आकृति उन्होंने नहीं देखी और तो और इसके पहले भी उन्होंने कई बार उड़ान भरी थी और नाही उन्होंने इसे बनाते हुये किसी को देखा था।

आकृति का आकार इतना बड़ा था की ऐसा हो ही नहीं सकता की ये किसी पायलट की नज़रों से चूक जाये। क्यूँ की उसका आकार लगभग चौथाई मिल लंबा-चौड़ा था और उसकी गहराई सतह से लगभग ३ से ३.५ इंच थी। इतनी बड़ी आकृति नजरोंसे कैसे छूट सकती है।

इस बात से परेशान होकर बिन मिलर ने ये बात जल्द से जल्द अपने उच्च अधिकारियों को बताई की, ओरेगॉन प्रांत के सिटी ऑफ़ बर्न्स से सत्तर मिल दूर एक सुखी झील में एक रहस्यमय आकृति दिखाई दे रही है।

मिलर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा की, ये रहस्यमय आकृति किसी मशीन के आकृति जैसे दिखती है, क्यूँ के यह आकृति कई लकीरो और आकारों से बनी हुई है। और फिर इस खबर को अमेरिका ने ३० दिनों तक लोगो से छुपाके रखा क्यूँ के इस खबर से उस स्थान पर भीड़ न जम जाये।

पर बाद में १२ सितम्बर १९९० को इसका प्रेस वालो को पता चल गया, तो फिर सबसे पहले इसकी न्यूज़ बोईस टीवी चैनल पर आ गई। इस बात के फैलने के बाद वहा जाकर कई लोगो ने उस आकृति को देखा और उनमेसे कई लोग समझ गए की ये हिन्दू धर्म के एक पवित्र चिन्ह की आकृति है, जिसे "श्री यंत्र" कहा जाता है।

पर किसीके पास यह जवाब नहीं था की, ये हिन्दू धर्म का पवित्र चिन्ह इस जगह पर किसने बनाया, क्यूँ बनाया और कैसे बनाया। इस बात से कई शोधकर्ता वैज्ञानिक भी आश्चर्य चकित और परेशान हो गए।

१४ सितम्बर को अमेरिका के कई टीवी चैनल और प्रेस वालो ने इस बात को बताया और फिर इसकी बात सब जगह फैल गई और इस पर चर्चा भी होने लगी, कई समाचार पत्रों ने तो शहर के बड़े बड़े वास्तुशास्त्रज्ञ और इंजीनियर्स को बताया तो उनको भी ये आकृति देख कर आश्चर्य हुवा की, इतनी बड़ी आकृति को बनाने के लिए किसकी सहायता ली होंगी और कैसे बनाया होगा, ये श्री यंत्र की बेहद ही जटिल संरचना है।

इसे साधे कागज़ पर भी बनाना बेहद कठिन है, तो इस सुखी झील में ज़मीन पर इस श्री यंत्र को बनाना तो बेहद ही मुश्किल और असंभव है। इस निष्कर्ष से सभी ने अंदाजा लगाया की, ये संरचना मनुष्य द्वारा नहीं बनाई गई है। इस आकृति को बनाने के पीछे परग्रही या अलौकिक शक्ति हो सकती है।

और दोस्तों ये आकृति ज़मीन पर खड़े रहकर पूरी नहीं देखी जा सकती इसे पूरा देखने के लिए ज़मीन से कई फुट ऊपर से देखना पड़ता है। इस पूरे श्री यंत्र की आकृति का जायजा लेने की बाद पूरे विचारवंत, वैज्ञानिक और UFO शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुचे है की, ये आकृति किसी रहस्यमय घटना का नतीजा हो सकता है।

१५ सितम्बर को इस आकृति पर रिसर्च करने UFO शोधकर्ता वैज्ञानिक "डॉन न्यूमन" और "एलेन डेकर" गये और उन्होंने वहा के पूरे हालातों का और आकृति का जायजा लिया और कई प्रयोग के बाद वो अपनी रिपोर्ट में बताते है की, इस आकृति के आस पास किसी भी प्रकार के मशीन या टायरों के निशान दिखाई नहीं दिए बल्कि उनके स्टेशन वैगन के पहियों के निशान उस रेत पर तुरंत आ गए। इस आकृति को देख कर ये दोनों वैज्ञानिक भी आश्चर्य चकित थे, की ये आकृति कैसे बनाई गई होंगी और किसने बनाई होंगी और इस असंभव को कैसे संभव किया।

इस श्री यंत्र को झूठा साबित करने के लिए कई लोगो ने प्रयत्न किये और इस श्री यंत्र के आकृति को मानव द्वारा बनाया गया है, ये साबित करने के लिए भी बहुत प्रयत्न किये मगर अपने लाख कोशिशों के बावजूद और अपने ट्रैक्टर, हल, बड़े बड़े स्केल, रस्सिया, नापने वाले टेप इत्यादि वस्तुओं के बावजूद श्री यंत्र की आकृति ठीक से सीधी और आधी भी नहीं बना सखे।

ओरेगॉन विश्वविद्यालय के डॉक्टर "जेम्स देदरोफ़" ने १९९१ में इस रहस्यमई घटना पर UFO और परग्रही शक्ति से संबंधित एक लेख लिखा था जो "ए सिम्बल ऑन द ओरेगॉन डेज़र्ट" के नाम से प्रकाशित हुवा।

डॉक्टर जेम्स देदरोफ़ अपने रिसर्च में लिखते है की, अमेरिकी सरकार अभी तक लोगो को इस दैविक घटना के बारे में पक्की जानकारी नहीं दे सके क्यूँ की, किसी को समझ नहीं आ रहा है की ये विशालकाय "श्री यंत्र" वहा कैसे बना, किसने बनाया और क्यूँ?

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दोस्तों इसके बाद कई शोधकार्य के बावजूद ये रहस्य अभी तक अनसुलझा है की, ये आकृति अमेरिका में क्यूँ बनाई, कैसे बनाई और किसने बनाई ?

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