Brahmastra ancient weapon - प्राचीन भारत का प्राचीन अस्त्र ब्रह्मास्त्र: इस पोस्ट में हम बात करेंगे प्राचीन भारत का प्राचीन अस्त्र और आविष्कार "ब्रह्मास्त्र" के बारे मे जिसे आज के युग में परमाणु अस्त्र या परमाणु बम कहा जाता है। प्राचीन भारत के कई ग्रन्थ और पुराणों में ब्रह्मास्त्र का वर्णन मिलता है। रामायण और महाभारत में भी ब्रह्मास्त्र के प्रयोग के प्रमाण मिले है।
ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ब्रह्मा का अस्त्र याने ईश्वर का अस्त्र, जिसका निर्माण भगवान ब्रह्मा ने दैत्यों के नाश हेतु किया था। ब्रह्मास्त्र का वर्णन हमें प्राचीन भारत के कई ग्रन्थ और पुराणोमे मिलते हैं, जिसे आज के युग में परमाणु अस्त्र कहा जाता है।
कई शोध कार्य के बाद कई भारतीय और विदेशी वैज्ञानिक भी मानने लगे है की, प्राचीन भारत में परमाणु अस्त्र का आविष्कार हुवा था। और महाभारत युद्ध में इस परमाणु अस्त्र का प्रयोग भी हुवा था, जिसके प्रमाण "हड़प्पा" और "मोहनजोदाड़ो" में मिलते है।
ब्रह्मास्त्र एक बहुत ही शक्तिशाली अस्त्र था, इसकी संहारक शक्ति इतनी थी की बस एक बार इसको विपक्षी के भाग में छोड़ा जाये तो विपक्षी के साथ साथ उसके बहुत बड़े इलाके का विनाश निश्चित है। और बाद में वहा पर दस से बारा वर्षो तक बारिश, जीवजंतु, पेड़ पौधे इत्यादि की उत्पत्ति नहीं हो पाती याने उस पूरे इलाके में 10 से 12 वर्षो तक अकाल पड़ता है।
महाभारत में एक प्रसंग मिलता है, जब महाभारत युद्ध के दौरान अश्वत्धामा और अर्जुन ने अपने अपने ब्रह्मास्त्र चला दिए थे, तब इन दोनों के टकराव को रोकने लिये ऋषि वेदव्यास जी ने दोनों को अपने अपने ब्रह्मास्त्र लौटाने को कहा तब अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस लौटाया पर अश्वत्धामा को ब्रह्मास्त्र लौटाना नहीं आता था, परिणाम स्वरूप लाखों लोग मारे गए और रेडिएशन फॉल से उस इलाके के गावों में रहने वाली महिलाओं के गर्भ भी मारे गए थे।
कुछ ऐसा ही प्रसंग जब 1945 में अमेरिका ने "हिरोशिमा" और "नागासाकी" पर परमाणु बम गिराया था, तब वहा पर रेडिएशन फॉल आउट होने के कारण कई इलाकों में महिलाओं के गर्भ मारे गए थे और वहापर 10 से 12 साल तक अकाल पड़ा था।
ग्रंथो और पुराणों के अनुसार मान लीजिए की, जब दो ब्रह्मास्त्र आपस टकराये तो तब भयंकर प्रलय जैसी विनाशकारी परिस्थिति निर्माण हो जाती है।
प्राचीन ग्रंथो में अनेक स्थलों पर प्रमाण मिलते है की, ब्रह्मास्त्र भगवान ब्रह्मा द्वारा निर्मित एक बहुत ही शक्तिशाली अस्त्र था और इसके जैसे दो और अस्त्र थे जिसका नाम "ब्रह्मशीर्षास्त्र" और "ब्रह्माण्डास्त्र" था और माना जाता है की ये दो अस्त्र ब्रह्मास्त्र से भी शक्तिशाली अस्त्र थे।
सुरुवात में ब्रह्मास्त्र देवी देवताओं के पास थे और प्रत्येक देवी देवताओं के पास अपनी अपनी विशेषता अनुसार अस्त्र और शस्त्र हुवा करते थे, फिर देवताओं ने इन अस्त्रों को सबसे पहले गंधर्व को दिया और फिर बाद में इसे मनुष्यों ने हासिल किया।
प्राचीन ग्रंथो अनुसार ब्रह्मास्त्र एक अचूक अस्त्र था जिसे एक बार दागा जाये तो विनाश करके ही छोड़ता था, इस अस्त्र को मंत्र तंत्र और यंत्रो से भी संचालित किया जा सकता था।
रामायण में भी ब्रह्मास्त्र का वर्णन मिलता है, जब रामायण युद्ध में लक्ष्मण और मेघनाथ आमने सामने आते है और युद्ध की स्थिति अपने शिखर तक पोहोचती है तब लक्ष्मण ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहते थे। तब भगवान "श्री राम" उन्हें कहते है की, अभी इसका प्रयोग करना उचित नहीं है, क्यों की इसके परिणाम से पूरी लंका तबाह हो जायेंगी ऐसा कहकर उन्हें रोक देते है।
रामायण और महाभारत में कुछ ही गिने चुने योद्धाओं के पास ये अस्त्र था। रामायण काल में लक्ष्मण और विभीषण के पास था, और महाभारत काल में ये अस्त्र श्री कृष्ण, द्रोणाचार्य, अश्वत्धामा, अर्जुन, युधिष्टिर, कर्ण और प्रद्युम्न के पास था। ब्रह्मास्त्र में भी कई प्रकार थे जैसे की छोटे-बड़े, व्यापक रूप से संहार करने वाले, इच्छाशक्ति, रासायनिक तत्वों पर चलने वाले, दिव्य, मांत्रिक और यंत्रो से चलाये जाने वाले।
दोस्तों इन सभी तथ्यों के आधार पर इस आधुनिक काल में "जे.रॉबर्ट ओपनहाइमर" ने रामायण, गीता और महाभारत का अध्ययन करके ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोधकार्य शुरू कर दिया था। तब उन्होने अपने शोधकार्य के मोहिम को "ट्रीनिटी" याने त्रिदेव नाम दिया,
रॉबर्ट और उनके साथ काम करने वाली वैज्ञानिको की एक टीम ने सन 1939 से 1945 तक शोधकार्य जारी रखा और परिणाम स्वरूप वो सफल भी हुए, और उन्होंने इसका पहला सफल परीक्षण जुलाई 1945 में किया और फिर विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी वायुसेना ने इस परमाणु बम को 6 अगस्त 1945 की सुबह जापान के "हिरोशिमा" पर गिराया, इस परमाणु बम का नाम उन्होंने "लिटिल बॉय" रखा था, और तीन दिनों के बाद फिर नागासाकी शहर पर "फैट मैन" नामक परमाणु बम गिराया था। उसके परिणाम स्वरूप हिरोशिमा में 20 हजार से भी ज्यादा सैनिक और 70 हजार से 1.5 लाख तक आम नागरिक मारे गये थे और नागासाकी में लगभग 80 हजार लोग मारे गए।
इससे आप समझ सकते है की, प्राचीन भारत का ब्रह्मास्त्र कितना विध्वंसकारी था जिसे आज के युग में "परमाणु बम" या "परमाणु अस्त्र" कहा जाता है। हमारे प्राचीन भारत का विज्ञान बहुत ही अड्वान्स था जिसे हमें पूरी तरीके से समझना जरूरी है।
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तो दोस्तों ये थी ब्रह्मास्त्र, Brahmastra Ancient Weapon Of Ancient India के बारे में कुछ जानकारी, आपको इसके बारे में और कुछ जानकारी हो तो हमें कमेन्ट करके बताये।
आपने बहुत अच्छी और सही जानकारी प्रदान की है, हमारा भारत वैज्ञानिक दृष्टिकोण का देश है, जिसपर हमें हमेशा गर्व रहेंगा..
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