दोस्तों आज हम प्राचीन भारतीय विमान शास्त्र और महान भारतीय वैज्ञानिक महर्षि भारद्वाज के बारे मे जानेंगे। महर्षि भारद्वाज ने यंत्र सर्वस्व नामक ग्रंथ लिखा था, जिसमे सभी प्रकार के विमानों को बनाने और यंत्र को बनाने और चलाने की विधि का विस्तारित रूप से वर्णन किया गया है। और इनमेसे एक भाग विमान शास्त्र है, तो चलते है हम Vimana Shastra को विस्तारित रूप से जानेगे।
आज विमान टेक्नोलॉजी बहुत ही विकसित हुई है, पर भारत में यही टेक्नोलॉजी (विमान शास्त्र) हजारों साल या महाभारत काल से भी पूर्व इसकी रचना और विकास हुआ था। इस बारे मे बहुत सारे लोगो का और वैज्ञानिको का विश्वास बैठ चुका है और इसके बारे मे बहुत सारे उदाहरण और प्रमाण भी है, और इसके बारे मे खोज भी की जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय शोध कर्ताओने प्राचीन पाण्डुलिपि की खोज की, उनको जो ग्रंथ मिले उनके आधार पर ''विमान शास्त्र'' प्रकाश में आया, इस ग्रंथ की रचना महान भारतीय आचार्य ''महर्षि भारद्वाज'' ने की थी महर्षि भारद्वाज हमारे उन प्राचीन वैज्ञानिकोमे से एक महान वैज्ञानिक थे, और उनके पास विज्ञान की महान दृष्टि थी।
महर्षि भारद्वाज ने "यंत्र सर्वस्व" नामक ग्रंथ लिखा था, जिसमे सभी प्रकार के यंत्र को बनाने और चलाने की विधि का वर्णन किया गया है। और ईसमेसे एक भाग "विमान शास्त्र" है। इस ग्रंथ के आठ अध्यायोमे विमान बनाने की प्रक्रिया है। और इस आठ अध्यायोमे १०० खंड है। जिसमे विमान बनाने के टेक्नोलॉजी का विस्तारित रूप से वर्णन किया है।
महर्षि भारद्वाज ने इसमें ५०० प्रकार के विमान बनाने के विधि का उल्लेख किया है, याने ५०० सिद्धांत से विमान बनाने की प्रक्रिया और चौकादेने वाली बात ये है की, यही ५०० प्रकार के विमान ३२ तरीके से बनाये जा सकते है। इसका भी वर्णन इस ग्रंथ में किया गया है।
वेदों में विमान संबंधी उल्लेख अनेक स्थलों पर मिलते है. वाल्मीकि रामायण में पुष्पक विमान, ऋगवेद में कम से कम १०० से २०० बार विमानों का उल्लेख किया गया है।
महर्षि भारद्वाज ने विमान की परिभाषा थी की: पक्षियों के समान वेग होने के कारण इसे विमान कहते है।
विमान शास्त्र ग्रंथ का बारीकी से अभ्यास करने की बाद आठ प्रकार के विमानों का पता चला:
- शक्त्युद्गम: बिजली से चलने वाला विमान।
- भूत वाह: अग्नि से ,जल से और वायु से चलने वाला विमान।
- धुमयान: गैस से चलने वाला विमान।
- शीकोद्गम: तेल से या पारे से चलने वाला विमान।
- अंश वाह: सूर्य की किरणों से चलने वाला विमान।
- तारा मुख: चुंबक से चलने वाला विमान।
- मणि वाह: चंद्रकांत ,सूर्यकान्त मनियोसे चलने वाला।
- मरुत्सखा: केवल वायु से चलने वाला विमान।
वैसे तो विमान की रचना ५६ प्रकार की गई थी, मगर इनमे से कुछ प्रमुख थे:
- रुकमा विमान: नोकीले आकार के और सोने के रंग के थे।
- सुंदर विमान: रॉकेट की आकार वाले और रजत उक्त थे।
- त्रिपुर विमान: तीन मंजिला वाले।
- शकुन विमान: पक्षी के जैसे आकार वाले।
इस वैमानिक शास्त्र ग्रंथ में विमान चालको का प्रशिक्षण, उड़ान मार्ग, पार्ट्स, उपकरण, चालक और यात्रीओ के परिधान और भोजन किस प्रकार का होना चाहिये इस बारे मे भी विस्तारित रूप से लिखा गया है, और धातु को साफ करने की प्रक्रिया उस के लिए प्रयोग करने वाले द्रव्य और रसायन, विमान में प्रयोग करने वाले तेल तापमान इन सभी विषयों पर लिखा गया है। और इसके सात प्रकार के इंजनों का भी वर्णन किया गया है।
यह विमान आज के विमानों की तरह सीधे, उची उड़ान भरने तथा उतरने, आगे पीछे तिरछा चलने में भी सक्षम थे। उन विमानों में आज के विमानों की तरह ३२ प्रकार के आधुनिक यंत्र लगाए गए थे और इनका कार्य क्या है इसका भी वर्णन किया है।
खोजकर्ताओं ने इस प्रकार के बहुत सारे सबूत और प्रमाणों की खोज भी की है, ऐसा लगता है की आज हम उस टेक्नोलॉजी की खोज में लगे हुए है, जो हज़ारों साल पहले हमारे भारत में मौजूद थी।
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तो दोस्तों यह थी, प्राचीन भारतीय विमान शास्त्र, वैमानिक शास्त्र, Ancient Indian Vimana Shastra in Hindi की जानकारी, आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो हमें कमेंट्स करके बताये और अपने दोस्तों में शेअर करे।
Yantra shrwatra granth lena hai kaise milega plz bataye
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Deleteभारद्वाज ऋषि के लिखे हुए विमान शास्त्र के बारे में लोगो तक जानकारी पहुँचाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। ऐसे ही शानदार लेख अपने ब्लॉग में लिखते रहिये।
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