प्राचीन भारत के प्राचीन अविष्कार, Ancient invention of ancient India: हमारे प्राचीन भारतीय ऋषि मुनी और वैज्ञानिको ने प्राचीन काल में ऐसे आविष्कार किये और ऐसे सिद्धांत रखे है की, जिसके दम पर आज का आधुनिक विज्ञान और नई दुनिया खड़ी है। ऐसे बहुत सारे आविष्कार और सिद्धांत की रचना हजारों लाखों सालों पहले हमारे प्राचीन भारत में हुई थी। तो हम इनमें से कुछ खास आविष्कारों के बारे में जानेंगे।
1. बिजली का आविष्कार
बिजली का आविष्कार थॉमस एडीसन ने किया ये हमें बताया और सिखाया जाता है, पर इस आविष्कार में उन्हें किसकी मदत मिली ये नहीं बताया जाता।
थॉमस एडीसन अपनी किताब में लिखते है की, एक रात मैं संस्कृत का एक श्लोक पढ़ते पढ़ते सो गया पर उस रात मेरे स्वप्न में उस श्लोक का अर्थ और रहस्य अपने आप समझ में आया था, जिससे मुझे मेरे आविष्कार में बहुत मदत मिली।
दोस्तों वह श्लोक "अगस्त्य संहिता" नामक प्राचीन ग्रन्थ का था, इस ग्रन्थ की रचना "महर्षि अगस्त्य" ऋषि ने की थी, जो एक वैदिक ऋषि होकर राजा दशरत के राजगुरु थे, उनके ग्रन्थ अगस्त्य संहिता में बहुत ही आश्चर्य चकित करने वाले विद्युत ऊर्जा उत्पन्न से संबंधित सूत्र और सिद्धांत मिलते है।
2. प्राचीन भारतीय ज्यामिति
प्राचीन भारत में उस समय रेखागणित/ज्यामिती को "शुल्व शास्त्र" कहा जाता था। इस शुल्वशास्त्र तथा श्रोत सूत्र के रचेता "महर्षि बोधायन" थे। महर्षि बोधायन ने पायथागोरस से भी पहले रेखा गणित के सिद्धांत और सूत्र रखे थे, लेकिन हमें आज यूनानी ज्यामिती शास्त्री पायथागोरस और युक्लिड के ही सिद्धांत पढ़ाये जाते है।
महर्षि बोधायन ने लगभग 3000 वर्ष पहले ही रेखागणित, ज्यामिति या त्रिकोनामिति के नियम और सिद्धांत बनाये थे। जिसे उस समय "शुल्व शास्त्र" कहा जाता था, कुछ शास्त्रों के जानकार कहते है की, यह शास्त्र उससे भी हजारो साल पहले था, जिनकी खोज करना बहुत ज़रूरी है।
3. प्राचीन भारतीय अस्त्र - शस्त्र
हमें लगता है की, आज के हथियार बहोतही एडवांस है और उसकी मारक शक्ति बहुत ही विध्वंसकारी है। मगर हजारो लाखों सालों पहले भारत में इससे भी खतरनाक अस्त्र और शस्त्रों का आविष्कार हुवा था।
हमारे वैदिक काल में अध्यात्मक ज्ञान के साथ साथ धर्म की रक्षा, दृष्टो ख़ात्मे और युद्ध के लिए इन अस्त्र और शस्त्रों का उपयोग करना और ग्रहण करना सिखाया जाता था।
"अस्त्र" उसे कहते है, जो मंत्रो द्वारा चलाये जाते है और अग्नि, गैस, विद्युत ऊर्जा और यंत्रो से चलाये जाते थे। और "शस्त्र" उसे कहते है जो हाथ से चलाये जाते थे और इनमें कुछ शस्त्र यंत्रो से भी चलाये जाते थे।
वैदिक काल में अस्त्र-शस्त्रों का वर्गीकरण चार भागों में किया जाता था।
1. अमुक्ता: ऐसे शस्त्र जो फेंके नहीं जा सकते।
2. मुक्ता: ऐसे शस्त्र जो फेंके जा सकते थे मगर इनमें दो प्रकार थे।
a) पाणिमुक्ता - हाथ से फेंके जाने वाले।
b) यंत्र मुक्ता - यंत्रो के सहायता से फेंके जाने वाले।
3. मुक्ता मुक्त: ये शस्त्र के प्रकार फेककर या बिना फेककर चलाये जा सकते थे।
4. मुक्त संनिवृत्ती: ये शस्त्र जो फेककर लौटाए जा सकते थे और लौटा कर रिस्टोअर किया जा सकता था।
वेद पुराणों में हमें कई अस्त्रों का वर्णन मिलता है, उनमें पाशुपत अस्त्र, वैष्णव अस्त्र, इंद्र अस्त्र, आग्नेय अस्त्र, वरुण अस्त्र, नाग अस्त्र, नाग पाश, वायु अस्त्र, सूर्य अस्त्र, वज्र अस्त्र, माहिनि अस्त्र, पर्वता अस्त्र, संमोहन अस्त्र, नारायण अस्त्र और ब्रह्मास्त्र इत्यादि अस्त्रों के बारे मे और उनकी मारक क्षमता के भी वर्णन मिलते है।
महाभारत युद्ध में बहुत सारे अस्त्रों का प्रयोग किया था, उनमेसे "ब्रह्मास्त्र" सबसे खतरनाक और विध्वंसकारी हथियार था, जिसे आज के आधुनिक युग में परमाणु बम कहा जाता है।
4. प्राचीन भारतीय विमान शास्त्र
आज हमें पढ़ाया जाता है की आधुनिक विमान की शुरुवात "राइट्स ब्रदर" ने 1903 में की थी, मगर भारत में उनसे भी पहले भारतीय व्यक्ति ने 1895 में विमान की रचना की और उसका सफल पूर्वक प्रक्षेपण किया था, उस व्यक्ति का नाम था "शिवकर बापूजी तलपदे" उन्होंने ये रचना महर्षि भारद्वाज के ग्रन्थ "विमान शास्त्र" का अभ्यास करके कि थी।
इसका मतलब हजारो लाखों सालों पहले हमारे भारत में विमान उड़ते थे। विमानों का उल्लेख हमें हमारे ग्रंथो में कई जगह पर मिलते है। इस विमान शास्त्र ग्रन्थ की रचना "महर्षि भारद्वाज" ने की थी, इस ग्रन्थ में कई विमान बनाने की प्रक्रिया और सिद्धांत के बारे मे विस्तारित रूप से लिखा गया है, और तो और कई प्रकार के यंत्र और इंजनों का भी वर्णन किया गया है।
उदाहरण के तौर पर देखा जाये तो रामायण में रावण के पास "पुष्पक विमान" होने का उल्लेख मिलता है। उस वक्त युद्ध के लिए भी विमान बनाये जाते थे, उनमें "गोधा" नामक ऐसा विमान था जो अदृश्य हो सकता था। ऐसे बहुत सारे विमानों की रचना और आविष्कार हमारे प्राचीन भारत में हजारो लाखों सालों पहले हुये थे।
5. प्राचीन भारतीय प्लास्टिक सर्जरी
हमें लगता है की, आधुनिक मेडिकल सायन्स में ही मेडिकल सर्जरी हो रही है। लेकिन आज से 3000 साल से भी पहले सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी का ज्ञान भारत वासियोंको था, इन सभी जटिल सर्जरी के जनक "आचार्य शुश्रुत" है, जिन्हे विश्व का पहला "शल्य चिकित्सक" माना जाता है।
प्लास्टिक सर्जरी का अर्थ है: शरीर के किसी हिस्से को ठीक करना। प्राचीन भारत में युद्ध या किसी अन्य प्राकृतिक घटना में शरीर के अवयव या फिर कोई शरीर का भाग ख़राब या नष्ट हो जाता था , तब उनपर इलाज करने का काम "आचार्य शुश्रुत" करते थे।
आचार्य शुश्रुत ने उस समय स्वास्थ्य वैज्ञानिको के साथ मिलकर प्लास्टिक सर्जरी, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना और कई प्रकार की शस्त्र क्रिया के सिद्धांत बनाये थे। मगर आचार्य शुश्रुत कहते है की, उन्हें ये ज्ञान "भगवान धन्वंतरि" ने दिया था जिन्हे हम आयुर्वेद के देवता मानते है, इसका मतलब क्या आचार्य शुश्रुत से भी हजारो सालों पहले इसका ज्ञान भारत में था।
तो दोस्तों यह थी प्राचीन भारत के प्राचीन अविष्कार - Ancient invention of ancient India in Hindi की जानकारी, आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो हमें कोमेंट्स करके बताये और यह आर्टिकल अपने दोस्तों में शेअर करे।