अल्बर्ट आइंस्टीन की रोचक जानकारी, शोधकार्य और व्यक्तिगत जिवन

0

Albert Einstein biography in hindi: आज हम जानेंगे मानव इतिहास के जाने माने बुद्धिजीवी अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) के बारे मे, आपने कई खोजों के आधार पर उन्होंने अंतरिक्ष, समय और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत दिये, 14 मार्च 1879 में जर्मनी में वुतटेमबर्ग के यहूदी परिवार में अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ था।

albert einstein biography in hindi, einstein biography in hindi, albert einstein history in hindi, biography of albert einstein in hindi, autobiography of albert einstein in hindi, albert einstein biography hindi, अल्बर्ट आइंस्टीन की खोज, albert einstein in hindi, history of einstein in hindi, einstein history in hindi, albert einstein autobiography in hindi,

आइंस्टीन को शुरू-शुरू में लगभग चार सालों तक बोलने में कठिनाई होती थी, लेकिन वे पढ़ाई में अव्वल थे। उनकी मातृभाषा जर्मन थी और फिर बाद में उन्होंने इटालियन और अंग्रेज़ी भाषा भी सीखी। उनके पिता का नाम हरमन आइंस्टीन था ओ एक इंजीनियर और सेल्समन थे और उनकी माता पौलीन आइंस्टीन थी।

1880 में उनका परिवार म्यूनिख शहर चला गया जहा उनके पिता "हरमन आइंस्टीन" और चाचा ने मिलकर "इलेक्ट्राटेक्निक फ्रैबिक जे आइंस्टीन एंड सी" (Elektrotechnische Fabrik J. Einstein & Cie) ये नाम की कंपनी खोली थी और उनकी ये कंपनी बिजली के उपकरण बनाती थी, पर 1894 में उनके पिता की कंपनी को कुछ प्रॉब्लम की वजह से भारी नुकसान हो रहा था जिसकी वजह से उन्हें अपनी कंपनी बेचनी पड़ी। 

तो फिर व्यापार की तलाश में, आइंस्टीन का परिवार इटली चला गया, जहाँ ओ सबसे पहले मिलान और फिर कुछ महीने बाद पाविया शहर में बस गये। पर आइंस्टीन म्यूनिख में ही अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रुक गए।

अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन में कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए, उन्हें 1922 में उन्हें भौतिकी में सैद्धांतिक भौतिकी के लिए अपनी सेवाओं और फोटो-ईक्लेक्ट्रिक प्रभाव के कानून की खोज के लिए अन्तराष्ट्रीय नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अल्बर्ट आइंस्टीन का वैज्ञानिक कार्यकाल 

आइंस्टीन ने सैकड़ों शोध-पत्र, विज्ञान से अलग किताबें लिखीं और कई लेख प्रकाशित किये। 1999 में टाइम पत्रिका ने उन्हें शताब्दी पुरूष घोषित किया और एक सर्वेक्षण के अनुसार अल्बर्ट आइन्स्टीन सार्वकालिक महान वैज्ञानिक माने गए। वे खुद के काम के साथ साथ दूसरे वैज्ञानिकों को सहयोग करते थे, जिनमे आइंस्टीन रेफ्रिजरेटर, बोस आइंस्टीन के आँकड़े और भी कई शोध शामिल हैं। 

अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1905 में सामान्य आपेक्षिकता (General relativity) और 1916 में सामान्य आपेक्षिकता के सिद्धांत (General principles of relativity) सहित कई योगदान दिए।

उनके अन्य योगदानों में अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन संभाव्यता, एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांत, सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याऍ, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीकृत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण शामिल है।

ऊष्मागतिकी अस्थिरता और सांख्यिकीय भौतिकी - Thermodynamics instability and statistical physics

1900 में ओनालेनडर फ़िज़िक्स को प्रस्तुत, आइंस्टीन के पहला शोध-पत्र "केशिका आकर्षण" पर था। यह 1901 में " केशिकत्व घटना से निष्कर्ष " इस शीर्षक के साथ प्रकाशित किया गया था।

1902-1903 के दौरान प्रकाशित दो पत्रों में परमाणुवीय घटना की व्याख्या, सांख्यिकीय के माध्यम से करने का प्रयास किया। यही पत्र 1905 के ब्राउन-नियन गति पर शोध-पत्र के लिए नींव बने, जिसमें पता चला कि अणुओ की उपस्थिति हेतु ब्राउनियन गति को ठोस सबूत की तरह उपयोग किया जा सकता है।

1903 और 1904 में उनका शोध मुख्य रूप से प्रसार घटना पर परिमित परमाणु आकार का असर पर संबंधित है।

सापेक्षता का सिद्धांत - Theory of Relativity

अल्बर्ट आइंस्टीन ने सामान्य आपेक्षिकता / General relativity और सामान्य आपेक्षिकता के सिद्धांत / General principles of relativity सहित कई योगदान दिए। अल्बर्ट आइंस्टीन ने सापेक्षता के सिद्धांत को व्यक्त किया।

जो कि हरमन मिन्कोव्स्की के अनुसार अंतरिक्ष से अंतरिक्ष समय के बीच बारी-बारी से परिवर्तनहीनता के सामान्यीकरण के लिए जाना जाता है। और इनमे समानता का सिद्धांत और क्वांटम संख्या के समोष्ण सामान्यीकरण के सिद्धांत शामिल थे।

सापेक्षता के सिद्धांत और E=mc² - Principles of Relativity and E = mc²

30 जून 1905 को आइंस्टीन के "चलित निकायों के बिजली का गति विज्ञान पर" शोध पत्र पूर्ण हुआ और उसी वर्ष की 26 सितंबर को प्रकाशित हुआ। यह बिजली और चुंबकत्व के मैक्सवेल के समीकरण और यांत्रिकी के सिद्धांत, प्रकाश की गति के करीब यांत्रिकी में बड़े बदलाव के बाद के बीच सामंजस्य निश्चित करता हैं।

फिर बाद में यही आइंस्टीन के सापेक्षता के विशेष सिद्धांत के रूप में जाना गया। जिसका निष्कर्ष था कि, समय अंतरिक्ष के ढाँचे में गतिशील पदार्थ, धीमा और गति की दिशा में नजर आता हैं, तब इसे पर्यवेक्षक के ढाँचे में मापा जाता है।

द्रव्यमान ऊर्जा समतुल्यता के अपने शोध-पत्र में अल्बर्ट आइंस्टीन ने विशेष सापेक्षता समीकरणों से E=mc² का निर्माण किया। पर 1905 से आइंस्टीन के इस सापेक्षता के शोध कई वर्षों तक विवादास्पद बने रहे , हलाकि इसे कई खास भौतिकविदों ने माना जैसे की मैक्स प्लैंक ने माना था।

फ़ोटॉन और ऊर्जा क्वांटा - Photon and Energy Quanta

आइंस्टीन ने 1905 में बताया की कि प्रकाश स्वतः ही स्थानीय कणों याने क्वांटाम के बने होते हैं। पर आइंस्टीन के प्रकाश क्वांटा परिकल्पना को मैक्स प्लैंक और नील्स बोर सहित लगभग सभी भौतिकविदों, ने अस्वीकार कर दिया, 

फिर रॉबर्ट मिल्लिकन की प्रकाशविद्युत प्रभाव पर विस्तृत प्रयोग और कॉम्पटन बिखरने की माप के साथ यह परिकल्पना सार्वभौमिक रूप से 1919 में स्वीकार कर लिया गया। आइंस्टीन ने यह भी निष्कर्ष निकाला है कि आवृत्ति की प्रत्येक लहर, ऊर्जा के प्रत्येक फोटॉनों के संग्रह के साथ जुड़ा होता है।

क्वान्टाइज़्ड परमाणु कंपन - Quantaged Nuclear Vibration

आइंस्टीन ने 1907 में एक मॉडल प्रस्तावित किया था की, प्रत्येक परमाणु एक जाली संरचना में स्वतंत्र अनुरूप रूप से दोलन करता है। आइंस्टीन को पता था कि वास्तविक दोलनों की आवृत्ति अलग होती हैं लेकिन फिर भी इस सिद्धांत का प्रस्तावित किया क्योंकि यह एक स्पष्ट रूप था कि कैसे क्वांटम यांत्रिकी और पारंपरिक यांत्रिकी में विशिष्ट गर्मी की समस्या को हल कर सकता हैं।

स्थिरोष्म सिद्धांत और चाल-कोण - Stable Theory and Move-angle

साल 1910 के दशक के दौरान अलग अलग प्रणालियों को क्वांटम यांत्रिकी के दायरे में लाने के लिए इसका विस्तार हुआ। अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने नाभिक की खोज की, इलेक्ट्रॉन ग्रहों की तरह एक कक्षा में घूमते हैं।

नील्स बोह्र यह दिखाने में सक्षम हुए की प्लैंक द्वारा शुरू और अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा विकसित क्वांटम यांत्रिक के द्वारा तत्वों के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की असतत गति और तत्वों की आवर्त सारणी को समझाया जा सकता हैं।

साल 1898 के विल्हेम वियेना के तर्क को इसके साथ जोड़ कर अल्बर्ट आइंस्टीन ने इसके विकास में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया। वियेना ने यह दिखाया कि, एक थर्मल संतुलन अवस्था के स्थिरोष्म परिवर्तनहीनता की परिकल्पना से अलग-अलग तापमान पर सभी काले घुमाव को एक सरल स्थानांतरण प्रक्रिया के द्वारा एक दूसरे से व्युत्पन्न किया जा सकता है।

सन 1911 में आइंस्टीन को यह पता चला की वही समोष्ण सिद्धांत यह दिखाता हैं की मात्रा जो किसी भी यांत्रिक गति में प्रमात्रण है जो एक स्थिरोष्म अपरिवर्तनीय होना चाहिए।

1905 मिराबिलिस पेपर्स - 1905 Mirabilis Papers

सन 1905 में ओंनलडर फ़िज़िक्स नाम की एक वैज्ञानिक पत्रिका में मिराबिलिस पेपर्स को आइन्स्टीन ने प्रकाशित किया हैं, यह पेपर 4 लेखों से संबंधित हैं, जिनमे प्रकाश बिजली प्रभाव इसमें क्वंतक विचारों को जन्म दिया. ब्रौनिओन गति विशेष सापेक्षवाद और e = mc2 शामिल हैं।

मिराबिलिस पेपर्स के चार लेख 

  1. प्रकाश विधुत-प्रभाव: एक अनुमानी दृष्टिकोण उत्पादन और प्रकाश के परिवर्तन के सम्बन्ध पर,
  2. ब्राऊनियन गति: एक स्थिर तरल में निलबिंत छोटे कणों की गति पर गर्मी की आण्विक कैनेटिक थ्योरी के लिये आवश्यक,
  3. विशेष सापेक्षता: आगे बढ़ते कणों के बिजली के गति मान (इलेक्ट्रो-डाइनैमिक) पर,
  4. द्रव-मान उर्जा समतुल्यता: क्या एक शरीर की जड़ता अपनी उर्जा सामग्री पर निर्भर करती हैं,

इन 4 लेखों से आधुनिक भौतिकी के लिये काफी योगदान मिला हैं और अंतरिक्ष समय तथा द्रव पर लोगो की सोच को बदला हैं।

व्यक्तिगत जीवन से जुड़ीं खास बाते

अल्बर्ट आइंस्टीन एक भावुक व्यक्ति थे और जातीवाद विरोधी थे,  वे जातिवाद को एक बहुत बड़ी बीमारी मानते थे। उनकी याददाश बहुत कमजोर थी उनको किसी का नाम, नंबर, पता याद नहीं रहता था, पर वो अपने दिमाग में ही सारे प्रयोग के हल निकाल लेते थे।

जर्मनी में जब हिटलर शाही आई तब अल्बर्ट आइंस्टीन यहूदी होने के कारण उन्हें जर्मनी छोड़ना पड़ा तो फिर वो अमेरिका के न्यूजर्सी में आकर रहने लगे।

जब अल्बर्ट आइंस्टीन प्रिस्टल कॉलेज में अपनी सेवा में थे तब 18 अप्रैल 1955 में उनकी मौत हो गई, उनकी मृत्यु के बाद एक वैज्ञानिक ने उनके दिमाग को चुरा लिया फिर वो दिमाग लगभग 20 सालो तक एक जार में बंद रहा था।

फिर 1975 में उनके बेटे Hans ने उनके दिमाग के 240 नमूनों को रिसर्च के लिए कई वैज्ञानिको के पास भेज दिया, तो फिर रिसर्च के दौरान वैज्ञानिको को पता चला की अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग में एक सामान्य व्यक्ति से ज्यादा सेल्स की गिनती है।

अल्बर्ट आइंस्टीन कहते है की, अच्छी संगती और अच्छे विचार इंसान की प्रगति का द्वार खोल देते है और ये दोनों ही हमारे जीवन में बहुत मायने रखते है। उनकी ईश्वर के प्रति काफी आस्था थी वो कहते थे की, ईश्वर के सामने हम सब एक बराबर बुद्धिमान है और एक बराबर मुर्ख भी।

ये भी पढ़े:
1. महान खगोल शास्त्रीय और गणितज्ञ आर्यभट्ट

तो दोस्तों ये थी अल्बर्ट आइंस्टीन का वैज्ञानिक कार्यकाल, उनके शोधकार्य की जानकरी, उनका व्यक्तिगत जीवन और उनके इतिहास की कुछ खास जानकारी, आपको यह जानकारी अच्छी लगी होंगी तो अपने दोस्तों में शेयर कीजिये।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)