Badal Kaise Banta Hai | बादलों के प्रकार, बादल कैसे बनते हैं?

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जब भी हम ऊपर आसमान में देखते तब हमें अलग अलग प्रकार के बादल दिखाई देते है, और इन्हें देखकर हर बार हमारे मन में एक सवाल आता होंगा की यह बादल कैसे बनते है? और बादलों के प्रकार कितने हो सकते है?, तो दोस्तों हमने इस पोस्ट में बादलों के बारे में पूरी जानकारी दी है, जिसमे आपको सभी सवालो के जवाब मिल जायेंगे।

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बादल किसे कहते है? - What Is Cloud In Hindi?

वातावरण में मौजूद जलवाष्प के दबाव से बनने वाले पानी के कणों या हिम कणों की दृश्यमान मात्रा को बादल कहते हैं। मौसम विज्ञान में बादलों को पानी या अन्य रासायनिक घटक के मिश्रित द्रव्यमान के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो ब्रह्मांडीय शरीर के वातावरण में बूंदों या तरल पदार्थ के रूप में ठोस कणों के रूप में प्रकट होता है।

बादल कैसे बनते हैं?- How Clouds Are Formed In Hindi?

पृथ्वी पर मौजूद पानी सूरज की गर्मी की वजह से भाप में बदल जाता हैं, और यह भाप हवा से हल्की होने के कारण ऊपर उठती रहती है, यह जैसे जैसे ऊपर जाती है वैसे ठंडी होती जाती है और छोटी-छोटी बूंदों के रूप में बदल जाती है। आसमान में यह पानी के कण और हिम कण यह दोनों एक दूसरे के करीब आने के बाद आपस में घुलमिल जाते हैं जो यह छोटे या बड़े बादल रूप में तैयार होते हैं।

दोस्तों आसमान में बादल किस प्रकार का बनेगा यह बादल बनने वाले स्थान के वातावरण, तापमान, हवा और हालातों पर निर्भर करता है। जो बादल छोटे दिखाई देते है उनमे पानी की मात्रा कम और जो बादल आकार में बड़े दिखाई देते है उसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है। 

जब आकाश में बादल का तापमान बहुत कम हो जाता है, तो उनमें मौजूद वाष्प कण बर्फ के कणों में बदल जाते हैं, इन बर्फ के कणों के अधिक वजन के कारण वे नीचे गिरने लगते हैं और एक दूसरे से जुड़ने लगते हैं। इनका आकार बढ़ने लगता है और रूई जैसा रूप लेकर पृथ्वी पर गिर जाता है, जिसे हम हिमपात या snowfall कहते हैं।

बादलों के प्रकार - Types Of Clouds In Hindi

बादलों के प्रकार को जमीन से ऊपर की ऊंचाई के आधार पर बांटा गया है, जिसे चार वर्गों में विभाजित किया है, जो उच्च बादल, मध्यम ऊँचाई के बादल, निम्न बादल और ऊर्ध्वाधर रचना वाले स्तंभाकार बादल। इनके भी प्रकार है जिन्हें हमने निचे निम्नलिखित किया है:

1. उच्च बादल (जमीनी स्तर से 5000 मीटर से ऊँचे)

जिन बादल की ऊंचाई जमीनी स्तर से 5000 मीटर(16500 फीट) से ज्यादा होती है उन्हें उच्च बादल कहा जाता है। उच्च बादल के प्रकार निम्नलिखित है:

  • पक्षाभ बादल (Cirrus cloud): पक्षाभ बादल/पक्षाभ मेघ इनका निर्माण लघु हिमकणों द्वारा होता है, दिन के समय यह आकाश के किसी भी अन्य बादल की तुलना में अधिक सफेद होते हैं, और जब सूर्य अस्त हो रहा है या उग रहा है तब वह विविध रंग ले सकते हैं।
  • पक्षाभ स्तरी बादल: यह बादल आकाश में एक पतली सफ़ेद चादर के समान फैलें रहतें हैं, इनके आगमन पर सूर्य और चन्द्र के चारों ओर एक मण्डल बन जाता हैं, जो निकट समय में चक्रवात के आगमन की सूचना देतें हैं।
  • पक्षाभ कपासी बादल: यह बादल सफ़ेद रंग में, छोटे-छोटे गोलाकार रुपों में या सफ़ेद लहराती आकृति में पाए जाते हैं और इस प्रकार के बादल जादातर समूहों में पाए जाते हैं।

2. मध्यम ऊँचाई के बादल (जमीनी स्तर से औसत ऊंचाई 2000 से 5000 मीटर)

जिन बादल की औसत ऊंचाई जमीनी स्तर से 2000 से 5000 मीटर(6500 से 16500 फीट) होती है उन्हें मध्यम ऊँचाई के बादल कहाते है। मध्यम ऊँचाई के बादल के प्रकार निम्नलिखित है:

  • स्तरीमध्य बादल (Altostratus clouds): यह बादल इतनी अधिक ऊँचाई पर होते हैं कि तापमान कम होने के कारण इनसे लगातार वर्षा होने की सम्भावना बनी रहती है, इन बादलो से आकाश काफी हद तक ढक जाता है।
  • कपासी मध्य बादल (Altocumulus clouds): यह बादल छायादार होते है, जो छोटे मध्य-स्तर की परतें या बादलों के पैच होते हैं, और जो आमतौर पर गोल गुच्छों के आकार में बिखरे रहते है। यह आल्टोक्यूम्यलस मेघ बर्फ और पानी के मिश्रण से बने होते हैं।

3. निम्न बादल (जमीनी स्तर से 2000 मीटर तक ऊँचे)

जिन बादल की ऊंचाई जमीनी स्तर से 2000 मीटर(6500 फीट) तक होती है उन्हें निम्न बादल कहा जाता है। निम्न बादल के प्रकार निम्नलिखित है:

  • स्तरी कपासी बादल (Stratocumulus cloud): यह मेघ स्तरी बादलों का ही एक रूप है, जो गोलाकार राशियों से निर्मित होते है, जो समूहों या लहरों के रूप में दिखाई देते हैं। यह बादल निम्न-स्तर के गुच्छे या बादल के पैच होते हैं जो चमकीले सफेद से गहरे भूरे रंग में होते हैं।
  • स्तरी बादल (Strato clouds): यह बादल पतले मोटे चादर के समान होते है, जो आकाश को कोहरे की तरह ढँक लेते हैं। इन बादलों का निर्माण विपरीत स्थिती वाली हवा के मिलने से शीतोष्ण कटिबँधीय क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में होता है। जो बादलों के आवरण की एक धूसर परत बनाते हैं जो वर्षा रहित हो सकती है या हल्की बारिश या बूंदा बांदी हो सकती है।
  • वर्षा स्तरी बादल (Cirrus clouds): यह एक प्रकार का स्तरी बादल ही होता हैं, इनमे एक ही अंतर है की, इनमें हाइग्रोस्कोपिक कणों की सांद्रता ज्यादा होती है, जिसके कारण इन मेघ का रंग धूसर होता है। यह निचले स्तर के मेघ होते है, जो हाइग्रोस्कोपिक कणों पर अत्याधिक संघनन के कारण ये वर्षा करने में समर्थ हो जाते हैं।
  • कपासी बादल (Cumulus clouds): यह कपासी बादल आकाश में घने और विशाल रूप या घने आकार में फैले होते हैं। यह किसी अत्याधिक गर्म दिन में, जलवाष्प युक्त हवा के सीधे ऊपर उठने से ऐसे बादल बन जाते हैं। यह बादल बारिश भी करते हैं और सामान्य कपासी बादल साफ़ मौसम की सूचना भी देते हैं। हमें यह Cumulus clouds(कपासी बादल) सामान्य रूप से बारिश के समाप्त होने के बाद आकाश में सफ़ेद रुई के गोलों जैसे दीखते हैं।
  • कपासी वर्षी बादल (Cumulonimbus clouds): यह बादल वायुमण्डल में निचले स्तर से लेकर ट्रोपोपॉज़ तक आकार धारण करते हैं, इसलिए इन्हें ऊर्ध्वाधर रचना वाले स्तम्भाकार बादल कहते है। यह बादल लम्बवत रचना वाले होते हैं, इनका विस्तार ऊंचाई में अधिक होता है, जो भयंकर गर्जन और बिजली की चमक के साथ मुसलाधार वर्षा कराने में सक्षम होते है।

तो दोस्तों यह थी बादल कैसे बनते हैं?, badal kaise banta hai, types of clouds in hindi, बादलों के प्रकार, इत्यादी की जानकारी। आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमें कॉमेंट्स करके बताये और अपने दोस्तों में यह आर्टिकल जरुर शेअर करे।

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